Sunday, December 8, 2013
Saturday, November 23, 2013
निवेश कि आवश्यकता क्यों है !
भारत मे आज लोगो कि स्थिति बढ़ते महगाई को लेकर बेहद दयनीय हो गई है ! आमदनी का ज्यादा हिस्सा बढ़ी हुई महगाई के भेँट चढ़ जाता है ! आम आदमी ये सोच रहा है की कल क्या होगा ? कोई सुरक्षित कल की बात नहीं कर रहा है ! ऐसी परीस्थितिया बन कर सामने आ रही है कि हर कोई लुटने बाला ही लगता है ! मै ये सब लिख कर आपको डराने कि बात नहीं कर रहा हु बल्कि एक सच्चाई से शब्दों के द्वारा रूबरू कराने का प्रयास कर रहा हु क्यूंकि मै जितना अपने आप को जानता हु उतना आप भी अपने आप को जानते है और यही आम आदमी होने का सच है ! आप अगर अपने आप को टटोले तो पायेंगे कि मुश्किलो की भारी से भारी हालात मे आपने अपना रास्ता खुद बनाया है और इस समय भी रास्ता आप खुद ही बना सकते है ! जरुरत है उस दिशा की जिसके ऊपर आप चल सके ! अभी भारत की आबादी का 65 % पैसठ प्रतिशत हिस्सा युवाओ का है जो तीस बरस से कम उम्र के लोग है !
अगर आप गौर करे तो पायेंगे कि सारा प्रचार माध्यम और व्यापार युवाओ के खर्च करने को उत्सुक कर रहा है और उन्हे उपभोक्ताबाद के जाल मे उलझाना चाह रहा है ! निवेश को जो प्राथमिकता देनी चाहिए वो वे कर नहीं रहे है ! आप इन कुछ मुद्दों पर ध्यान दे तो आपके आने वाले समय आर्थिक दुश्वारिओ का सामना नहीं करना पड़ेगा !
अगर आप गौर करे तो पायेंगे कि सारा प्रचार माध्यम और व्यापार युवाओ के खर्च करने को उत्सुक कर रहा है और उन्हे उपभोक्ताबाद के जाल मे उलझाना चाह रहा है ! निवेश को जो प्राथमिकता देनी चाहिए वो वे कर नहीं रहे है ! आप इन कुछ मुद्दों पर ध्यान दे तो आपके आने वाले समय आर्थिक दुश्वारिओ का सामना नहीं करना पड़ेगा !
1. आवश्यक खर्चो का एक विवरण तैयार करे … जैसे महीने का राशन , गाड़ी , मोबाइल फ़ोन , आपका व्यक्तिगत खर्च , श्रीमती जी का खर्च , बच्चे है तो उनका खर्च , उनका स्कूल का खर्च , बीमा का प्रीमियम इत्यादि !
2 . इन सारे खर्च को अपने मासिक आय में से घटा दे , देखे क्या बचता है ! जो बचता है उसका आप निवेश करना शुरू करे !
3 . निवेश के लिए आपको बैसे ही योजना का चुनाव करना जो आपके अनुरूप हो ! इसमे दीर्घावधि कि योजना भी हो सकती है और छोटी अवधि की भी हो सकती है ! अब आपकी आवस्यकताए किस तरह कि है उसका अवलोकन आपको करना होगा ! इसमे अगर आप सक्षम हो तो ठीक है वरना किसी विश्वासी सलाहकार कि मदद लेना भी उचित होगा !
4 . कहते है निवेश कभी जाया नहीं जाता है चाहे वो किसी छेत्र मे हो !
5 . निवेश की अनेको योजनाए है जिनमे प्रमुखतः डाक घर कि मासिक बचत योजना , मासिक आय योजना , बैंक मे मासिक जमा योजना , एक मुस्त जमा योजना इत्यादि !
ये योजनाए सुरक्षा एबं निश्चित वापसी कि सर्बाधिक बेहतर योजनाये है जिसमें तत्काल आप निवेश बिना किसी कि सलाह लिए शुरू कर सकते है !
6 . इसके बाद आप ये देखिए की आपने जो बीमा ले रखा है उससे दुर्भाग्यवश आपके नहीं होने के बाद आपके परिवार को कितना मिलेगा क्युकि देखा ये जाता है कि लोग बीमा का प्रीमियम तो ज्यादा दे रहे है लेकिन आकस्मिक निधन कि स्थिति उनके नॉमिनी को जो क्लेम मिलता है वो एक से दो साल तक के परिवार के खर्चो की भरपाई करने के लायक ही होता है !
7 . बीमा कि योजना का चुनाव सोच समझ कर करे प्रयास करे टर्म इन्शोरेन्स लेने का इसमे आपका जो प्रीमियम का खर्च आएगा उसमे आप बेहतर बीमा कवरेज पाएंगे और आपके बाद आपकी नॉमिनी को बेहतर रकम भी प्राप्त होगा जो उस समय उन्हे जीवन में आई आर्थिक जिम्मेवारिओ को निबटाने में बेहद कारगर सावित होगी !
8 . म्युचअल फण्ड में जमा कि जो योजनाए है वह इक्विटी , डेब्ट , गोल्ड पर आधारित है ! इसमें निवेश को अपनी ज़रूरत के अनुसार बिभिन्न तरीके को अपनाकर आप कर सकते है ! अभी जो प्रचलित तरीका है उसमे सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान , फिक्स्ड मेचुरिटी प्लान , इत्यादि है !
अगर आपके निवेश कि अवधि लम्बी है तो म्युचअल फण्ड की बेहतर योजनाओ का चुनाव कर सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश करे ! ध्यान रखे कि म्युचअल फण्ड की योजनाए बाज़ार के जोखिम के अधीन होती है अगर लम्बी अवधि कि जमा योजना बना कर छोटी अवधि में ही आप पैसा निकालने को तैयार हो गए और शेयर बाज़ार निचे आया हुआ है तो वैसी स्थिति में आपको नुकसान हो जायेगा इसलिए आप इस सन्दर्भ में भी किसी जानकार की मदद ले कर ही निवेश करे तो अच्छा होगा !
एक अनुभव की बात बताता हूँ साल 1 9 7 4 में बैंक में नौकरी शुरू करने वाली कि सैलरी 5 0 0 रुपए महीने की थी . . . चावल उस समय 1 रुपए 4 0 पैसे किलो था , रसगुल्ला 15 पैसे पीस था , समोसा , चाय का वही भाव था , सोना 450 रुपए में दस ग्राम था ! लोगो का खर्च मनोरंजन के नाम पर सिनेमा हॉल या रेडियो होता था सयुंक्त परिवार में लोग रहते थे ! लोगो कि सामाजिक सक्रियता बेहतर थी ! उस समय जिन लोगो ने रियल एस्टेट में सोने में ही निवेश किया उन्होंने आज क्या पाया वह आप भी बखूबी समझ सकते है ! आज सयुक्त परिवार बहुत कम बच गया एकल परिवार ही प्रचलन में है ! सामाजिक पारिवारिक असुरक्षा बढ़ गई है !आज आप नौकरी शुरू 15000 - 20000 या उससे ऊपर कि आय से शुरू करते है 40 - 50 रूपए किलो चावल खरीदते है बाकि चीज़ भी उसी तरह कि कीमत पर आपको मिलता है क्या आप समझते है कि कल भविष्य में ये कीमते कहा होगी ! आज आप युवा है खर्च का एक हज़ार प्रलोभन आपके आने बाले कल पर अपरोक्ष रूप से डाका डालने के लिए तैयार बैठा है जो पहले नहीं था ! याद रखिये आज आप जो बचत करेंगे वो कल आपके जिम्मेवारियों को निबटने में मदद तो करेगा ही आपको वैसे ही हल्का रखेगा जैसा आज आप महसूस करते है . . . युवा और तरंगित। धन्यवाद !
राजेंद्र प्रसाद वर्मा
एम्फी रजिस्टर्ड म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट प्रोफेश्नल ,पूर्णियाँ
2 . इन सारे खर्च को अपने मासिक आय में से घटा दे , देखे क्या बचता है ! जो बचता है उसका आप निवेश करना शुरू करे !
3 . निवेश के लिए आपको बैसे ही योजना का चुनाव करना जो आपके अनुरूप हो ! इसमे दीर्घावधि कि योजना भी हो सकती है और छोटी अवधि की भी हो सकती है ! अब आपकी आवस्यकताए किस तरह कि है उसका अवलोकन आपको करना होगा ! इसमे अगर आप सक्षम हो तो ठीक है वरना किसी विश्वासी सलाहकार कि मदद लेना भी उचित होगा !
4 . कहते है निवेश कभी जाया नहीं जाता है चाहे वो किसी छेत्र मे हो !
5 . निवेश की अनेको योजनाए है जिनमे प्रमुखतः डाक घर कि मासिक बचत योजना , मासिक आय योजना , बैंक मे मासिक जमा योजना , एक मुस्त जमा योजना इत्यादि !
ये योजनाए सुरक्षा एबं निश्चित वापसी कि सर्बाधिक बेहतर योजनाये है जिसमें तत्काल आप निवेश बिना किसी कि सलाह लिए शुरू कर सकते है !
6 . इसके बाद आप ये देखिए की आपने जो बीमा ले रखा है उससे दुर्भाग्यवश आपके नहीं होने के बाद आपके परिवार को कितना मिलेगा क्युकि देखा ये जाता है कि लोग बीमा का प्रीमियम तो ज्यादा दे रहे है लेकिन आकस्मिक निधन कि स्थिति उनके नॉमिनी को जो क्लेम मिलता है वो एक से दो साल तक के परिवार के खर्चो की भरपाई करने के लायक ही होता है !
7 . बीमा कि योजना का चुनाव सोच समझ कर करे प्रयास करे टर्म इन्शोरेन्स लेने का इसमे आपका जो प्रीमियम का खर्च आएगा उसमे आप बेहतर बीमा कवरेज पाएंगे और आपके बाद आपकी नॉमिनी को बेहतर रकम भी प्राप्त होगा जो उस समय उन्हे जीवन में आई आर्थिक जिम्मेवारिओ को निबटाने में बेहद कारगर सावित होगी !
8 . म्युचअल फण्ड में जमा कि जो योजनाए है वह इक्विटी , डेब्ट , गोल्ड पर आधारित है ! इसमें निवेश को अपनी ज़रूरत के अनुसार बिभिन्न तरीके को अपनाकर आप कर सकते है ! अभी जो प्रचलित तरीका है उसमे सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान , फिक्स्ड मेचुरिटी प्लान , इत्यादि है !
अगर आपके निवेश कि अवधि लम्बी है तो म्युचअल फण्ड की बेहतर योजनाओ का चुनाव कर सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में निवेश करे ! ध्यान रखे कि म्युचअल फण्ड की योजनाए बाज़ार के जोखिम के अधीन होती है अगर लम्बी अवधि कि जमा योजना बना कर छोटी अवधि में ही आप पैसा निकालने को तैयार हो गए और शेयर बाज़ार निचे आया हुआ है तो वैसी स्थिति में आपको नुकसान हो जायेगा इसलिए आप इस सन्दर्भ में भी किसी जानकार की मदद ले कर ही निवेश करे तो अच्छा होगा !
एक अनुभव की बात बताता हूँ साल 1 9 7 4 में बैंक में नौकरी शुरू करने वाली कि सैलरी 5 0 0 रुपए महीने की थी . . . चावल उस समय 1 रुपए 4 0 पैसे किलो था , रसगुल्ला 15 पैसे पीस था , समोसा , चाय का वही भाव था , सोना 450 रुपए में दस ग्राम था ! लोगो का खर्च मनोरंजन के नाम पर सिनेमा हॉल या रेडियो होता था सयुंक्त परिवार में लोग रहते थे ! लोगो कि सामाजिक सक्रियता बेहतर थी ! उस समय जिन लोगो ने रियल एस्टेट में सोने में ही निवेश किया उन्होंने आज क्या पाया वह आप भी बखूबी समझ सकते है ! आज सयुक्त परिवार बहुत कम बच गया एकल परिवार ही प्रचलन में है ! सामाजिक पारिवारिक असुरक्षा बढ़ गई है !आज आप नौकरी शुरू 15000 - 20000 या उससे ऊपर कि आय से शुरू करते है 40 - 50 रूपए किलो चावल खरीदते है बाकि चीज़ भी उसी तरह कि कीमत पर आपको मिलता है क्या आप समझते है कि कल भविष्य में ये कीमते कहा होगी ! आज आप युवा है खर्च का एक हज़ार प्रलोभन आपके आने बाले कल पर अपरोक्ष रूप से डाका डालने के लिए तैयार बैठा है जो पहले नहीं था ! याद रखिये आज आप जो बचत करेंगे वो कल आपके जिम्मेवारियों को निबटने में मदद तो करेगा ही आपको वैसे ही हल्का रखेगा जैसा आज आप महसूस करते है . . . युवा और तरंगित। धन्यवाद !
राजेंद्र प्रसाद वर्मा
एम्फी रजिस्टर्ड म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट प्रोफेश्नल ,पूर्णियाँ
Monday, September 16, 2013
सुविचार
सुविचार
कामनाओ की चाहत इन्सान को युवा रखती है ! चाहत को संयमित तौर पर उपयोग करने पर शरीर और मन को बळ मिलता है ! असयन्मित तरीके से कामनाओ की चाहत और पूर्ति से इन्सान जल्द वृद्ध और दरिद्र हो जाता है !
राजेंद्र प्रसाद वर्मा
Saturday, July 20, 2013
वो बचपन ......... प्यारा बचपन -2
वो बचपन ......... प्यारा बचपन -2
माँ के जगने से पहले आ कर सो जाने का क्रम यु ही चलता रहता ! अमरुद के मौसम मे माँ खासकर पके अमरुद का जैम जरूर बनाती थी और उसे काँच के मर्तबान में रखकर अलमारी के सबसे ऊपर रख देती ताकि हम " छोटे - छोटे बच्चों " का हाथ वहां तक न पहुच पाए ! जैम उधर बना और हम लोगो के जीभ में लपलपाहट शुरू हो गई कि कैसे अब इसका भोग लगाया जाये ! जैम जब बनकर तैयार होता है तो गाढ़ा लाल रंग का घोल होता है जो जमकर थोरी देर बाद खाने योग्य हो पाता है ! अब जब दोपहर मे माँ हम लोगो को खाना खिलाकर साथ मे सबको लेकर सो जाती तो हमलोग भी सोने का नाटक कर परे रहते .. क्यूंकि अगर ना सोते तो माँ एक मोटा सा डंडा भी साथ मे रखती थी ! जिससे पिटाई का भी मस्त अंदेशा होता था ... अरे सोया .. आंख खुला किउ है ... बंद करो .. नहीं सोयेगा उठाये डंडा .. बहन कहती ; ... देखो ना माँ .. भैया ठेल रहा है .. सोने नहीं देता है ! " नहीं नहीं माँ यही धक्का दे रही है ! " .... तुमलोग सोते हो या डंडा लगाऊ ! " ..... हमलोग माँ के भय से झुठमुठ आँख बंद कर लेते .. थोरी देर बाद माँ तो सो जाती और मै जागा हुआ ये देखता की बहनों मे कौन जगी है और कौन सो गई पाठको को एक और बात बताता चलु की भाई में मै अकेला और बहन मेरी सात है तो दो - तीन तो जगी मिल जाती फिर चुपचाप खुसुर फुसुर करके बिछावन से सरक कर धीरे से मै उतर जाता और देखता की माँ उठी की नहीं ... क्यूंकि माँ अगर मेरे उठने से जागती तो एक बहाना था लघुशंका जाना है ! माँ के नहीं उठने पर बहन लोग भी जो जगी होती उठ जाती और फिर हमलोगों का " मिशन जैम " शुरू हो जाता ! आज याद करता हु तो हँसी भी आती है और लगता है कि बच्चे कितनी शरारत अपने माँ के साथ करते है और माँ कितने सव्र से इन शरारतों को निभा देती है ! खैर , अब जैम के इस मिशन को पूरा करने के लिए अलमीरा के सबसे ऊपर खाने पर पहूचना भी जरूरी था और साइज़ के हिसाब से ये मुश्किल था ! अचानक दिमाग में एक आईडिया आया मैने अपने कंधे पर अपने बाद बाली बहन को बिठाया उसके कंधे पर उसके बाद बाली बहन और उसके कंधे पर उसकी बाद बाली बहन को बिठाया और फिर सबको ले कर मै खरा हो गया ! अब ऊपर रखा हुआ मर्तबान सबसे ऊपर बाली बहन के हाथ मे था अब वो बहन नीचे बाली बहन को पास करते हुए क्रमशः मेरे तक पहुच जाता और फिर धीरे -2 सारी बहनों को उतारकर जैम का मर्तबान लेकर किचन में हम सब पहुच कर सोचने लगे कि कैसे इसमे से खाया जाए ताकि माँ को भी पता न चले ! अब वहा पर चम्मच का सहारा लेकर एक - एक चम्मच ऐसे मर्तबान के गले से नीचे तक बारीकी से कटाई करते गए कि जम कर जैम नीचे बैठ गया हो ! जैम का भोग लगाकर हमलोगों ने उतारने बाले तरीके से उसी जगह पर बापस रख दिया और आराम से माँ के बगल मे आकर वैसे ही सो गए !
अब बारी थी पकरे जाने की शाम मे जब माँ उठी तो फिर अपने नियमानुसार घर मे आने वाली आया से काम कराने के बाद रात का खाना बनाने मे लग गई ! उस जमाने मे गैस का चूल्हा नहीं होता था या तो कोयेले या लकरी या कुन्नी ( लकरी का बुरादा ) का चूल्हा होता था तो हमारे यहाँ कुन्नी बाला ही चूल्हा था ! खाना बनाने की सारी तैयारी करने के बाद रोटी बनाने को माँ जा ही रही थी कि अचानक उसे जैम की याद आई की देखे कि जमा की नहीं ! मर्तबान नीचे कर खोल कर देखते उसे लगा कि इसमे कुछ गरबर है ! अब हमलोगों का माँ की दरबार में पेशी का वक्त था ... सभी सामने खरे " .. बोलो जैम कौन खाया है ? " मैने सबसे पहले जवाब दिया ; हमलोग तो तुम्हारे ही साथ सो गए थे अम्मा ... तुम्हारे उठने के बाद ही उठे है ... अच्छा .. तो भुत आकर खा गया ... बताओ नहीं तो एक एक का टांग तोर दूंगी ....! हमलोग एक दुसरे भाई बहन का मुह देख ही रहे थे की अम्मा पतली बाली छरी लेकर जो सबसे ज्यादा डरने बाली बहन थी उसकी पिटाई शुरू कर चुकि थी .... ना अम्मा न ... हमको न मारो,,,,,, भैया ने ये सब किया है " वस फिर क्या उसके बाद तो अम्मा की छरी और मेरा शरीर,,,,, अब माफ़ कर दो अम्मा अब ऐसी गलती न होगी ! लेकिन अम्मा का गुस्सा कहाँ शांत होने बाला ! मै नीचे बिछे कालीन पे लोटता गया और छरी बरसती रही ! पापा भी उसी समय घर मे आए तो जाकर उन्होने बचाया !
क्या बचपन मे शरारतों का सिलसिला यही ख़त्म हो गया ! नहीं ! अगली बार कोलकाता मे अपने बीते बचपन की कहानी बताऊंगा ! तबतक के लिए विदा ! धन्यवाद
अब बारी थी पकरे जाने की शाम मे जब माँ उठी तो फिर अपने नियमानुसार घर मे आने वाली आया से काम कराने के बाद रात का खाना बनाने मे लग गई ! उस जमाने मे गैस का चूल्हा नहीं होता था या तो कोयेले या लकरी या कुन्नी ( लकरी का बुरादा ) का चूल्हा होता था तो हमारे यहाँ कुन्नी बाला ही चूल्हा था ! खाना बनाने की सारी तैयारी करने के बाद रोटी बनाने को माँ जा ही रही थी कि अचानक उसे जैम की याद आई की देखे कि जमा की नहीं ! मर्तबान नीचे कर खोल कर देखते उसे लगा कि इसमे कुछ गरबर है ! अब हमलोगों का माँ की दरबार में पेशी का वक्त था ... सभी सामने खरे " .. बोलो जैम कौन खाया है ? " मैने सबसे पहले जवाब दिया ; हमलोग तो तुम्हारे ही साथ सो गए थे अम्मा ... तुम्हारे उठने के बाद ही उठे है ... अच्छा .. तो भुत आकर खा गया ... बताओ नहीं तो एक एक का टांग तोर दूंगी ....! हमलोग एक दुसरे भाई बहन का मुह देख ही रहे थे की अम्मा पतली बाली छरी लेकर जो सबसे ज्यादा डरने बाली बहन थी उसकी पिटाई शुरू कर चुकि थी .... ना अम्मा न ... हमको न मारो,,,,,, भैया ने ये सब किया है " वस फिर क्या उसके बाद तो अम्मा की छरी और मेरा शरीर,,,,, अब माफ़ कर दो अम्मा अब ऐसी गलती न होगी ! लेकिन अम्मा का गुस्सा कहाँ शांत होने बाला ! मै नीचे बिछे कालीन पे लोटता गया और छरी बरसती रही ! पापा भी उसी समय घर मे आए तो जाकर उन्होने बचाया !
क्या बचपन मे शरारतों का सिलसिला यही ख़त्म हो गया ! नहीं ! अगली बार कोलकाता मे अपने बीते बचपन की कहानी बताऊंगा ! तबतक के लिए विदा ! धन्यवाद
Friday, July 19, 2013
वो बचपन .. वो प्यारा बचपन
वो बचपन .. वो प्यारा बचपन
बात जब बचपन की हो तो ... ह्रदय आनंद से भर उठता है ! यादों का तूफ़ान उठता हुआ आपको अतीत मे छूटे उस पल में ले जाता है जहाँ आनंद की नदियाँ बह रही है .. और आप उस मे डुबने उतरने लगते है ! सचमुच वो एक अदभुत समय था ! वो सड़क पर मित्रो के संग दौरते हुए ऐसा लगता था पैरो मे मानो पंख लगे हो और वस हवा मे अव उरने ही वाले है ! गर्मी के छुटी के दिनों में माँ जब हमें सुलाते हुए खुद सो जाती तो चुपके से हम घर से बाहर निकल कर आम अमरुद के बगीचे का चक्कर लगाना शुरू कर देते ! कभी अमरुद के पेड़ पर चढ़ कर पके अमरुद तोरना होता , फालसे के पेड़ के नीचे से फालसा ( एक छोटा गोल काला बीज उक्त फल जो खाने में मीठा खट्टा होता है ) शहतूत के पेड़ के नीचे से पके शहतूत चुन कर जमा करना होता था और सारे फल जमा हो जाने के बाद पीपल के पेड़ की घनी ठण्डी छाव मे बैठ फलो का आनंद भाई बहनों और दोस्तों के साथ लेने में जो मज़ा था शायद आज पांच सितारा होटल में बैठ कर खाने में भी नहीं मिलता है ! याद आता है कैसे हमलोग पेड़ो पर लगे चिरीओं के घोसलों , पेडों पर लगें मधुमन्खी के छतों को हसरत से निहारते सोचते कैसे ये चिरिया ... ये मधुमन्खी काम कर रही है ! कभी - २ तो उत्सुकता इतनी बढ़ जाती की माँ चिरिया के पेड़ से उरने की राह तकते और जब चिरिया उर कर अपने बच्चो का भोजन लाने चली जाती तो फिर पेड़ पर चढ़ कर घोंसले का अवलोकन करते हुए लाइव कमेन्ट्री नीचे खरे बाकी बच्चो को बताते ! उधर नर चिरियां की नज़र जैसे मुझ पर परती कि वह आक्रामक तरीके से गुस्सा करता हुआ सर के ऊपर चोंच मारने का प्रयास करना शुरु कर देता ... आस पास से मादा भी चीखोपुकार सुन कर चली आती और बेचैन हो कर डैने को फुलाते और पचकाते हुए जोर - जोर से मानो बोल रही हो " अरे नालायक किउँ मेरे बच्चो को परेशान कर रहा है ! मुझे भी लगता कि ललक में तो मै पेड़ पर चढ़ गया लेकिन इतनी ऊचाई पर आ गया हु जहाँ पेड़ की पतली - पतली डालियाँ ही है अगर गिरा तो हड्डी पसली तक नहीं बचेगी ! ऊपर सर पर नाचती हुई नर चिरियां का आक्रामक रूप और नीचे दिखती दूर दोस्तों और भाई बहनों का सर ... लगता था शायद जिन्दा नीचे नहीं पहुच पाउँगा ! हाथ पांव तो डर से फुले लग रहे थे ..... " भैया जल्दी नीचे आ जाओं "' आधे पेड़ से नीचे आने तक पूरी ताकत झोकनी परी तब किसी तरीके से नीचे पंहुचा ये सोचते ना बाबा ना अब कल से इतनी उचाई तक तो ना चदुंगा ! नीचे उतरने के बाद मै अपने उस गुट का हीरो बन गया था ! " बाप रे ..कितने ऊपर तुम चढ़ गए ..... किसी की हिम्मत न होगी ".....क्या भैया''''''''''''' कोई बरा आदमी भी वहाँ तक ना चढ़ पायेगा ! बात सही थी लेकिन एक कमी भी थी ...एक सात साल के बच्चे का वजन और परिपक्व मर्द के वजन में बहुत अंतर होता है ! आज तो इस तरह की हरकत जान जोखिम में डालने की बात हो जाएगी ! खैर , कल फिर फलो के चक्कर में दुसरे पेड़ पर चदने के लिए मै ही आगे था .. किउकि एक दिन पहले ही तो मै अपने गुट का हीरो बना था ! दोपहर की चिलचिलाती गर्मी की वो आवारागर्दी की सजा भी बरी जबरदस्त मिलती थी ! होता यिउ था कि माँ दिन के एक बजे तक खाना बनाकर हम सब को खिला कर साथ लेकर सो जाती , हम लोग माँ के सो जाने के बाद चुपके से बिछावन से सरक कर दवे पाँव बिना कोई शोर शराबे के घर से बाहर निकल जाते ! चार बजने से पहले फिर वैसे ही दवे पांव घर में आकर माँ के बगल मे सो जाते ! माँ नींद पूरा होने के बाद उठती तो देखती की हमलोग सोये हुए है !
वाकी दुसरे दिन .....
वाकी दुसरे दिन .....
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